बिहार विधानमण्डल में एक ऐसा विधेयक लाया गया है,जो यदि  कानून बन जाता है तो किसी भी व्यक्ति को बिना किसी सबूत और वारंट के गिरफ्तार की अनिश्चित काल के लिए न्यायिक हिरासत में लिया जा सकता है। जैसे:- MISA, UAPA वगैरह। कुछ बुद्धिजीवी लोगो का कहना है कि यदि यह विधेयक पारित हो गया तो मानवाधिकारों का खुलेआम गलत उल्लंघन होगा। 
                  इसी क्रम में आज दिन मंगलवार को बिहार मे सभी विपक्षी दलों द्वारा बड़े पैमाने पर विशाल जनसैलाब के माध्यम से विधानमंडल का घेराव किया जाना था। इसी बीच  मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार के आदेशानुसार अनुमति नहीं दिए जाने के बाद बड़े पैमाने पर पुलिस बल के द्वारा आँसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठी बरसाई गयी। पूरे प्रदेश से राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ता एकत्रित हुए थे, जिसमे राजद के वरिष्ठ नेताओं सहित पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, शक्ति सिंह, जगदानंद सिंह, अब्दुल बारी सिद्दीकी, घायल हुए। सैकड़ों लोगों को चोटें आयी, बुरी तरह से घायल, जख्मी हुए तथा न्यायिक हिरासत में ले लिए गए जो अत्यंत दर्दनाक, निंदनीय तथा संसदीय मर्यादा के खिलाफ है। आज की घटना को देख कर ब्रिटिश शासन के समय के क्रूर, दमन, शोषण, तथा इंदिरा गाँधी के शासन काल में लगाए गए आपात काल के जख्म ताजा हो गए। 

आज 23 मार्च है, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहादत-दिवस!1931 में इन तीनों को ब्रिटिश हुकूमत ने आज ही के दिन फांसी दी थी. तीनों क्रांतिकारियों का स्वाधीनता आंदोलन में अमूल्य योगदान है. निस्संदेह, उस दौर के क्रांतिकारी आंदोलन के सबसे प्रखर नेता और बौद्धिक-दिमाग शहीद भगत सिंह ही थे. भगत सिंह के विचार अमर हैं, वे आज के दौर और भविष्य में भी प्रासंगिक बने रहेंगे. क्रांतिकारी योद्धा, प्रखर बुद्धिजीवी, महान् लेखक और अपने प्रिय नायक की शहादत को सलाम. तीनों शहीदों को सादर नमन।