जो गलती हिंदुस्तान के मुलनिवासियों ने 712 1206,1526 मे क्रमशःमो. बिन कासिम,चंगेज खाँ,गजनी,बाबर,अरबों का अत्याचार सह कर किया यो दुबारा नहीं होना चाहिए, नहीं तो पूरे विश्व में अधर्म अत्याचार,असुरों का बोलबाला हो जाएगा।इस्लाम का व्यापक फैलाव सातवी शताब्दी के अंत में मोहम्मद बिन कासिम के सिंध पर आक्रमण और बाद के मुस्लिम शासकों के द्वारा हुआ। इस प्रान्त ने विश्व के कुछ महान इस्लामिक साम्राज्यों के उठान एवं पतन को देखा है। सातवी शतब्दी से लेकर सन १८५७ तक विभिन्न इस्लामिक साम्राज्यों ने भारत, पाकिस्तान एवं दुसरे देशों पर गहरा असर छोड़ा है।

इस्लामी शासकों और इस्लामी आक्रमणकारियों के कारण भारतीय महाद्वीप को अनेक प्रकार से क्षति हुई। पूरा भारतीय समाज लगभग १००० वर्ष तक अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता रहा और अन्ततः सफल हुआ। किन्तु १००० वर्षों में भारत धीरे-धीरे पश्चिमी दुनिया की तुलना में ज्ञान-विज्ञान में पिछड़ गया। इस्लाम के प्रवेश के पहले बोद्ध एवं हिंदू धर्म उपमहाद्वीप के प्रमुख धर्म थे। मध्य एशिया और आज के पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में बोद्ध धर्म शताब्दियों से फल फूल रहा था। खास कर के सिल्क रुट या रेशम मार्ग के किनारे इसका व्यापक फैलाव था। किसी समाज के कुछ हिस्से को दूसरों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने के लिए कट्टरपंथी बनाने से ऐसी ताक़त नहीं तैयार होती है जो देश के लिए वफ़ादार हो या देश के काम आए। यह केवल आतंकियों के उपद्रव का समाज बनाता है, जहां कट्टरपंथ और चरमपंथ गहराई से फैला होता है। सोसाइटी की ग़लती और बढ़ते कट्टरपंथी विचार अक्सर जैसे होते है, वैसे दिखते नहीं हैं, उनके बदसूरत चेहरे को पहचानने में सालों लग जाते हैं, कभी-कभी एक दशक भी बीत जाता है।
इस्लामी आतंकवाद
इस्लाम के नाम पर किया गया आतंकबाद
इस्लामी आतंकवाद अपने को मुसलमान कहने वाले चरमपंथियों द्वारा किये गये आतंक को 'इस्लामी आतंकवाद' कहते हैं। ये तथाकथित अपने भाँति-भाँति के राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये आतंक फैलाते हैं।

मध्य पूर्व, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिणपूर्व एशिया, भारत एवं अमेरिका में बहुत वर्षों से मौजूद है। आतंकी संगठनों में ओसामा बिन लादेन द्वारा स्थापित अल कायदा नामक सैनिक संगठन कुख्यात है। इसी तरह हाफिज सईद जैसे तमाम आतंकी मौजूद है जो अपना इस्लामिक आतंकी संगठन चलाते हैं। आतंकियों का एक ही मकसद है, पूरी दुनिया में इस्लाम और अशांति की हुकूमत लाना।

प्रमुख आतंकी संगठन संपादित करें
Abu Sayyaf, Philippines
Al-Aqsa Martyrs' Brigades, Gaza Strip and West Bank
Al-Gama'a al-Islamiyya, Egypt
अल-कायदा, worldwide
Al-Shabaab, Somalia
Ansar al-Islam, Iraq
Ansar al-sharia, Libya
Armed Islamic Group (GIA), Algeria
बोको हराम, Nigeria
Caucasus Emirate (IK), Russia
East Turkestan Islamic Movement (ETIM), China
Egyptian Islamic Jihad, Egypt
Great Eastern Islamic Raiders' Front (IBDA-C), Turkey
हरकत-उल-मुजाहिदीन al-Alami, Pakistan
हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी
हिजबुल्लाह, Lebanon
Islamic Movement of Central Asia, Central Asia
Islamic Movement of Uzbekistan, Uzbekistan
Islamic State of Iraq and the Levant, worldwide
जैश-ए-मोहम्मद, कश्मीर और पाकिस्तान
Jamaat Ansar al-Sunna, Iraq
Jemaah Islamiyah, Indonesia
लश्कर-ए-तैयबा, कश्मीर और पाकिस्तान
लश्कर-ए-झंगवी, पाकिस्तान
Maute group, Philippines
Mojahedin-e-Khalq (MEK), Iran, Iraq and Europe
Moro Islamic Liberation Front, Philippines
Moroccan Islamic Combatant Group, Morocco and Europe
National Thowheeth Jama'ath, Sri Lanka
Palestinian Islamic Jihad, Gaza Strip and West Bank
Tawhid and Jihad, Iraq
पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंक
मसूद अज़हर
पाकिस्तानी आतंकवादी
लव जिहाद
प्रबल धर्मांतरण का स्वरूप
लव जिहाद 
(जिसे रोमियो जिहाद के नाम से भी जाना जाता है)  मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर-मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए लक्षित करके प्रेम का ढोंग रचना है। यह अवधारणा 2009 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक में राष्ट्रीय ध्यानाकर्षण की ओर बढ़ी।[1] यह शब्द भारत के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है किन्तु कथित रूप से इसी तरह की गतिविधियाँ यूके आदि देशों में भी हुई हैं। केरल हाईकोर्ट के द्वारा दिए एक फैसले में लव जेहाद को सत्य पाया है। [2] नवंबर 2009 में, पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नोज ने कहा कि कोई भी ऐसा संगठन नहीं है जिसके सदस्य केरल में लड़कियों को मुस्लिम बनाने के इरादे से प्यार करते थे। दिसंबर 2009 में, न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन ने पुन्नोज की रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और निष्कर्ष निकाला कि जबरदस्ती धर्मांतरण के संकेत हैं। अदालत ने "लव जिहाद" मामलों में दो अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में इस तरह के 3,000-4,000 सामने आये थे।

लव-जिहाद का मुद्दा भी सबसे पहले दिग्गज वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन ने 2010 में पहले उठाया था।[3][4] फिर केरल के ही कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने 25 जून, 2012 को विधानसभा में बताया कि गत छह वर्षों में वहां 2,667 लड़कियों को इस्लाम में धर्मांतरित कराया गया।[5] केरल हाई कोर्ट ने भी 2009 में लव जिहाद पर सुनवाई में कहा था कि झूठी मोहब्बत के जाल में फंसाकर धर्मांतरण का खेल केरल में वर्षों से संगठित रूप से चल रहा है।

कर्नाटक सरकार ने 2010 में कहा था कि हालांकि कई महिलाओं ने इस्लाम में धर्म परिवर्तन किया है लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें मनाने का कोई संगठित प्रयास नहीं किया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस ने सितंबर 2014 में पिछले तीन महीनों में लव जिहाद के छह मामलों में से पांच में से धर्म परिवर्तन के प्रयास का कोई सबूत नहीं पाया। पुलिस ने कहा कि बेईमान पुरुषों द्वारा छल के छिटपुट मामले एक व्यापक साजिश के सबूत नहीं हैं।

2017 में, केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में लव जिहाद के आधार पर एक मुस्लिम पुरुष से हिंदू महिला के विवाह को अमान्य घोषित किया। तब मुस्लिम पति द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई थी, जहां अदालत ने लव जिहाद के पैटर्न की स्थापना के लिए सभी समान मामलों की जांच करने के लिए एनआईए को निर्देश दिया।[6]

यह अवधारणा पहली बार 2009 में केरल और कर्नाटक में व्यापक धर्मांतरण के दावों के साथ भारत में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में आई। लेकिन ऐसे दावे बाद में पूरे भारत, पाकिस्तान और यूनाइटेड किंगडम में फैल गए। 2009, 2010, 2011 और 2014 में भारत में लव जिहाद के आरोपों ने विभिन्न हिन्दू, सिख और ईसाई संगठनों में चिंता जताई जबकि मुस्लिम संगठनों ने आरोपों से इनकार किया।[7] यह अवधारणा कई लोगों के लिए राजनीतिक विवाद और सामाजिक चिंता का स्रोत बनी हुई है हालांकि 2014 तक किसी संगठित लव जिहाद के विचार को रॉयटर्स के अनुसार भारतीय मुख्यधारा द्वारा व्यापक रूप से साजिश सिद्धांत के रूप में माना गया था।

लव जिहाद के खिलाफ कानून संपादित करें
25 नवंबर 2020 तक, चार भाजपा शासित राज्य: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक, विवाह के माध्यम से "जबरन धर्मांतरण" को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों को आमतौर पर "लव जिहाद" कानूनों के रूप में संदर्भित करते थे।.[8][9] उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित कानून, जिसमें "गैरकानूनी धर्म परिवर्तन" के खिलाफ प्रावधान भी शामिल हैं, एक विवाह को शून्य और शून्य घोषित करता है यदि एकमात्र इरादा "एक लड़की के धर्म को बदलने" का था और यह और मसौदा विधेयक मध्य प्रदेश में सजा का प्रस्ताव रखता है कानून तोड़ने वालों को 10 साल की जेल।[10][11] उत्तर प्रदेश में कानून को गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अध्यादेश के निषेध के रूप में 28 नवंबर को मंजूरी दी गई थी। मध्य प्रदेश में कानून को दिसंबर 2020 में मंजूरी दी गई थी।